अरूणाचल प्रदेश को प्राकृतिक सौन्दर्य का वरदान रहा है। भटिण्डा ;पंजाबद्ध के कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं ने इस बार इसी क्षेत्रा की वनयात्रा का आयोजन किया। उनके आगमन पर अरूणाचल विकास परिषद् द्वारा अनेकविध् योजना बनाई।
अरूणाचल विकास परिषद् के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने रंगपफारा की संकल्पना सि(ान्तों और उपदेशों के बारे में दी हुई जानकारी बहूत ही प्रेरणादायी थी। स्थानीय कार्यकर्ताओं के प्रयासों से शिक्षा, आरोग्य, सांस्कृतिक क्षेत्रा में कई काम हो रहे है।
वनयात्रा के आयोजन का मुख्य हेतु परम्पराओं का आदान-प्रदान एवं अपनी संस्कृति की पहचान कराना था। ब्रह्मपुत्रा नदी पर 9.15 कि.मी. बने भारत के सबसे लम्बे पुल से जनजातियों का अनुसन्धन केन्द्र देखने आयोजन था। साथ ही गुवाहाटी ;असमद्ध और मेघालय के कुछ स्थानों का दौरा किया। बनयात्रियों का यात्रा के दौरान विभिन्न जगह पर परम्परागत स्वागत हुआ और लोहित जिले में ‘इण्डिजिनियस
पफेथ डे’ निमित्त आयोजित शोभायात्रा में सम्मिलित होने का भी सौभाग्य रहा। इस शोभायात्रा में 500 से भी अध्कि विद्यार्थि और नागरिक सहभागी थे। वहां पर लोकधरा पर आयोजित नृत्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। अरूणाचल की मिश्मी जनजाति के नेता एवं राज्यमंत्राी सोलिल नगदोंग तथा डी.सी. ने प्रतिभागियों को पुरस्कार दिये। इस वनयात्रा के माध्यम पंजाब के वनयात्रियों को अपनी सांस्कृतिक परम्परा और ध्रोहर का परिचय हुआ। सबसे विशेष बात यह की दोनों प्रांतों के कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय एकात्मता की अनुभूति भी हुई।