कल्याण आश्रम-जशपुर ने मनाया करमा उत्सव


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करम देव की पूजा

 


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परम्परागत रूप में गीत गाने, वाद्य बजाने

 


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मांदल की थाप पर नृत्य

जनजाति समाज प्रकृति पूजक है। सभी उत्सव, तिज-त्यौहार, परम्परा सभी प्रकृति के साथ जुड़ी है। सभी मानव को कोई न कोई संदेश देते है। इसी में से छोटा नागपुर क्षेत्र के वनवासी समाज का एक उत्सव है करमा। इस उत्सव में रात्रि को महिला-पुरूष एकत्रित आते है और करम देव की पूजा करते है। यह एक पेड़ की ड़ाली है। बड़े भक्ति भाव से उसकी पूजा होती है।
वनवासी कल्याण आश्रम के केन्द्र प्रांत जशपुर के स्मारक भवन परिसर में 8 अक्टूबर को करमा उत्सव मनाया गया। वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद सिंह सहित अन्य कई कार्यकर्ता इसमें सहभागी हुए। पहले करम देव पूजा हुई और पश्चता मांदल की थाप पर नृत्य हुआ। सारा परिसर भक्तिभाव के साथ उत्सव मना रहा था।
जनजाति समाज के विकास हेतु कार्यरत वनवासी कल्याण आश्रम प्रतिवर्ष ऐसे कई उत्सवों के लिए समाज को जागृत करते हुए उत्सव मनाने की परम्परा का निर्वहन करते है। वर्तमान समय में कहीं-कहीं ये उत्सव परम्परागत रूप में मनाने का प्रमाण कम होते दिखाई दे रहा है अथवा इसके मनाने में पश्चिम की पद्धति को अपनाने का अनुभव भी होता है, जैसे गीत गाने, वाद्य बजाने के बदले डी.जे. साउण्ड सिस्टम का प्रयोग देखने को मिल रहा है। युवा पीढ़ी में इसका बहुत आकर्षण है। अपने कार्यकर्ता स्थान स्थान पर परम्परागत रूप में मनाने का आग्रह करते है। वनवासी कल्याण आश्रम में इस हेतु लोककला के नाम सेएक स्वतंत्र विभाग कार्यरत है।

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