स्वास्थ्य
आरोग्य :
किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को अत्यंतीक पीड़ा देनेवाली बात यह है की वन पर्वतों में बसे गाँवों में यदि किसी बिमार व्यक्ति को दवाई अथवा उपचार की आवश्यकता है और वह उसके गाँव में यदि उपलब्ध नहीं है तो उसकी क्या स्थिति होगी ? तब उसे कई किलो मीटर दूर जाना अनिवार्य है।
आरेाग्य सेवा सभी को उपलब्ध हो इस हेतु वनवासी कल्याण आश्रम जनजाति क्षेत्र में कार्यरत है। कहीं चिकित्सा केन्द्र तो कहीं छोटासा अस्पताल, कहीं चल चिकित्सालय (मोबाईल मेडिकल युनिट) तो कहीं आरोग्य रक्षक योजना जैसे विविध प्रयास चल रहे है। लाखों रोगियों को वर्ष भर में दवाईयाँ अथवा उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस हेतु नगरों से कई सेवाभावी चिकित्सक अपना मूल्यवान समय देकर सेवारत है। देश के कुछ राज्यों में पशुओं की चिकित्सा हेतु भी कम चल रहा है।
वर्षाकाल जैसे समय आवागमन की प्रतिकूलता का विचार किये बीना छोटे-छोटे गाँवों में चिकित्सा शिविरों का आयोजन होता है। ऐसे वर्षभर में हज़ारों चिकित्सा शिविरों में लाखों वनवासी बन्धु लाभान्वित होते है।
नगरवासियों को अपने घर अथवा कार्यालयों में बैठे बैठे इस बात का अंदाज नहीं होगा की केवल एक छोटीसी दवा की गोली वनवासी व्यक्ति को अपनी परम्परा से दूर ले जाने का कारण कैसे बनती है ? सुदूर जंगल के छोटे से गाँव में रहनेवाला एक युवक कहता है की वर्षों पूर्व मेरे परिवार के किसी व्यक्ति को बिमारी के समय उपचार उपलब्ध हुआ, जो अपनी पवित्र संस्कृति से दूर होने का कारण सिद्ध हुआ।
आरोग्य क्षेत्र में हमारी सेवा यदि किसी को अपनी परम्परा, आस्था, संस्कृति के साथ जोडे़ रखती है तो हमारे प्रयास सार्थक है, इसमें कोई दो राय नहीं।