हम क्या करते हैं
शिक्षा प्रसार हेतु वनवासी कल्याण आश्रम भी सुदूर जनजाति क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के प्रयास कर रहा है
यह भी शिक्षा क्षेत्र से ही जुड़ा प्रकल्प है। वैसे कल्याण आश्रम की स्थापना ही एक छात्रावास के द्वारा हुई थी|
आरेाग्य सेवा सभी को उपलब्ध हो इस हेतु वनवासी कल्याण आश्रम सेवा सभी जनजाति क्षेत्र में कार्यरत है।
वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना से ही महिलाएँ अपने कार्य से जुड़ी थी, सुश्री लीलाताई पराडकरजी के आगमन
अपनी श्रद्धा, आस्थाओं के प्रति मन में दृढ़ता रहे इस हेतु श्रद्धाजागरण आयाम कार्यरत है। स्थान स्थान पर भजन-सत्संग
‘हितरक्षा’ कहते ही अर्थ स्वयं स्पष्ट हो जाता है। वर्षों से जिन पर अन्याय हो रहा है, जिनका शोषण हो रहा है,
भारत गाँव में बसता है। गाँव का विकास ही सही में भारत का विकास है। जनजाति समाज भी अधिकतम
वनक्षेत्र में आज शिक्षा, चिकित्सा सुविधा, आर्थिक विकास की दिशा में हमें कमियाँ दिखाई पड़ रही है।
कल्याण आश्रम - परिचय
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम एक पंजीकृत सामाजिक संगठन है जो हमारे वनवासी भाइयों के कल्याण के लिए भारत के जनजाति क्षेत्रों में काम कर रहा है। भारत के सभी राज्यों में कार्य करते हुए जनजाति समाज का सर्वांगीण विकास हमारा मिशन है।
वनवासी कल्याण आश्रम भारत के 90% से अधिक जनजाति जिलों तक पहुंच गया है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और आर्थिक विकास आदि क्षेत्रों में 16413 स्थानों पर 21917 परियोजनाओं के माध्यम से जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहा है। हम पर्यावरण संरक्षण, मानव संसाधन विकास, महिला सशक्तिकरण और खेल के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं। हम सांस्कृतिक जागरूकता और जनजातियों के अधिकारों की सुरक्षा जैसी गतिविधियों में भी लगे हुए हैं।
वर्तमान में भारत में 12 करोड़ से अधिक जनजाति समाज निवास करता है। देश के सुदूर वनों – पर्वतों में रहने वाला जनजाति समाज अपनी भारतीय परंपरा और संस्कृति का सच्चा संरक्षक है। भारत की संस्कृति का अभिन्न घटक होते हुए भी दुर्भाग्य से जनजाति समाज घोर उपेक्षा का शिकार हुआ। इसी उपेक्षा को समाप्त करते हुए जनजाति समाज तक विकास की किरणे पहुंचा कर ‘ तू – मैं एक रक्त ‘ इस भाव को दृढ़ करने के लिए अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम संपूर्ण देश में कार्यरत है।