What We Do
शिक्षा प्रसार हेतु वनवासी कल्याण आश्रम भी सुदूर जनजाति क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के प्रयास कर रहा है
यह भी शिक्षा क्षेत्र से ही जुड़ा प्रकल्प है। वैसे कल्याण आश्रम की स्थापना ही एक छात्रावास के द्वारा हुई थी|
आरेाग्य सेवा सभी को उपलब्ध हो इस हेतु वनवासी कल्याण आश्रम सेवा सभी जनजाति क्षेत्र में कार्यरत है।
वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना से ही महिलाएँ अपने कार्य से जुड़ी थी, सुश्री लीलाताई पराडकरजी के आगमन
अपनी श्रद्धा, आस्थाओं के प्रति मन में दृढ़ता रहे इस हेतु श्रद्धाजागरण आयाम कार्यरत है। स्थान स्थान पर भजन-सत्संग
‘हितरक्षा’ कहते ही अर्थ स्वयं स्पष्ट हो जाता है। वर्षों से जिन पर अन्याय हो रहा है, जिनका शोषण हो रहा है,
भारत गाँव में बसता है। गाँव का विकास ही सही में भारत का विकास है। जनजाति समाज भी अधिकतम
कल्याण आश्रम - परिचय
विविधता में एकता यह अपने भारत की प्रमुख विशेषता है। विभिन्न जाति, पंथ – संप्रदाय, भाषा – वेशभूषा होते हुए भी एक आंतरिक सूत्र ने भारत जैसे विशाल देश को एकत्रित बांधने का काम किया है। देश की इसी सुंदरता को सुशोभित किया है अपने जनजाति समाज ने…!
वर्तमान में भारत में 12 करोड़ से अधिक जनजाति समाज निवास करता है। देश के सुदूर वनों – पर्वतों में रहने वाला जनजाति समाज अपनी भारतीय परंपरा और संस्कृति का सच्चा संरक्षक है। भारत की संस्कृति का अभिन्न घटक होते हुए भी दुर्भाग्य से जनजाति समाज घोर उपेक्षा का शिकार हुआ। इसी उपेक्षा को समाप्त करते हुए जनजाति समाज तक विकास की किरणे पहुंचा कर ‘ तू – मैं एक रक्त ‘ इस भाव को दृढ़ करने के लिए अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम संपूर्ण देश में कार्यरत है।