आनंद भरें सबके जीवन में , जीवन के दिन चार

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आनंद भरे सबके जीवन में, जीवन के दिन चार
सभी नृत्य करें सभी गीत कहें, एक सूर एक ताल ।। धृ.।।

जीवन सारा उत्सव है, छोटीसी है बात
जो ना समझे सारे जन, रोते है दिन रात
अनपढ़ भी जाने जीवन के होते है रंग हज़ार ।। 1।।

हे नृत्य साधना जीवन की, ना केवल रंजन के साधन
हम शब्दब्रह्म के साधक है, करते है गीतों से अर्चन
वनवासी के नृत्य-गीत में संस्कृति हो साकार ।। 2।।

करमा होया या होली में ये गिरी-कंदर के नाचे जन
हम देख रहे है तन गति में, पर स्थिर हो रहे सबके मन
वनवासी है निर्मल मन के इसके ये है प्रमाण ।। 3।।

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