जन जन जिनकी पूजा करते
वन अंचल के देव हमारे
श्रद्धा मेरी दैवत सारे,
श्रद्धा मेरी दैवत सारे ।।धृ.।।
वृक्ष देव है पर्वत भी है
चंद्र देव है सूरज भी है
व्याघ्र देव नाग देव है
परमेश्वर के रूप सारे ।।1।।
श्रद्धा मेरी दैवत सारे ।।धृ.।।
नाम कई है रूप अनेकों
विध विध पूजा स्थान अनेकों
मार्ग भले ही भिन्न सभी के
सत्य एक है इतना जाने ।।2।।
श्रद्धा मेरी दैवत सारे (2)
कोई करे कैसे ही पूजा
कोई करे कैसे ही वंदन
ईश्वर सबके भाव देखते
ईश्वर मन की वाणी सुनते ।।3।।
श्रद्धा मेरी दैवत सारे (2)
वनवासी का धर्म नहीं है
इससे बढ़कर जूठ नहीं है
विदेशियों के षड्यंत्रों को
समझे और सबको समझाये ।।4।।
श्रद्धा मेरी दैवत सारे (2)