तरूणाई का नूतन जागर सूर्य तेज सा छाया
युव जन जागे भारत जागा, धरती अंबर जागा ।। धृ.।।
भरत भूमि पर संकट छाया, अलगवाद की आंधी
संस्कृति पर जो हुआ आक्रमण, भारत माँ सिसकाती
माता के आसुं जब देखे शक्ति उपासक जागा……. ।। 1।।
स्मरण करे हम वीर पुरूष वह, नागभूमि के जादो
शक्तिस्वरूपा रानी माँ को शंभु के पौरूष को
ब्रह्मपुत्र का गर्जन सुनकर पूर्वांचल अब जागा……. ।। 2।।
भरत भूमि की अखंडता का लक्ष्य सदा हृदयों में
लक्ष-लक्ष युवकों के जीवन अर्पित इस वेदी में
जीवन सारा भारत मय हो सब समाज अब जागा…… ।।3।।