धरती माता कितनी अच्छी
सबका जीवन सुखमय करती
धरती माँ की पूजा करते
धान से अपना घर भर देती (2) ।। धृ.।।
खेतों में हमको श्रम करना है
किरपा होगी तब भिगना है
धरती पर जब सोना उगले
हिरवा की पूजा करनी है (2) ।। 1।।
एक ही दाना बोया हमने
देखो कितने दाने पाये
धरती माता सबको देती
ऋण उसका हम भूल न पाएँ (2) ।। 2।।
धर्म को समझे कहना माने
पुरखों का भी कहना माने
धरती की जो पूजा करते
डनको ही हम अपना माने (2) ।। 3।।