भारत बसता है गावों में, चले आज हम गाँव
चले आज हम गाँव-गाँव में, चले आज हम गाँव ||ध्रु.||
विशाल मन है प्रेम सहज है
संस्कृति के दर्शन होते है
अपने बंधू से मिलने का
अवसर उत्सव आज …. || 1 ||
चले आज हम गाँव-गाँव में, चले आज हम गाँव….
घर आया वह देवतुल्य है
स्वागत करना परम भाग्य है
संस्कारों की सरिता बहती
जन-जन घर के द्वार || 2 ||
चले आज हम गाँव-गाँव में, चले आज हम गाँव….
जनजाति का समाज जीवन
सच में भारत का है दर्शन
सार्थक होगा वनयात्रा से
अपना जीवन आज …. || 3 ||
चले आज हम गाँव-गाँव में, चले आज हम गाँव….