संकल्प करें। वे धर्मकार्य है
समदान हो. पुण्यकार्य है,
शक्ति हम वीरवती हम
अनधक अविरत कार्य करे… संकल्प करें ।। धृ।।
अमृतपुत्र इसी धरती पर
युग युग से रहते आए
देव हमारे विविध रूप में
प्रकृति के पूजक सार
हिन्दू होने का गौरव है एक सभी के स्वर गूजे.. सकल्प करे ।।1 ।।
देवासुर संग्राम चल रहा
धर्म पक्ष में हम सारे
रामप्रभू की जय जय कहते
मारुतिनंदन बन जाए
भस्म करें असुरों की लंका
धर्म ध्वजा फिर लहराए संकल्प करें ।।2 ।।
परिव्राजक हम गुणग्राहक हम
सतत प्रवासी है सारे
जन मन को संस्कारित करने
वन पर्वत में भ्रमण करें
सर्वांगीण विकसीत वनवासी
लक्ष्य प्राप्ति हित कार्य करें…. संकल्प करें ।।3 ।।