खेल खिलाड़ी खेल (2)
हँसकर, मिलकर, डटकर, बढ़कर खेल खिलाड़ी खेल………।। धृ.।।
खेल स्वदेशी अपनाएँगे जनमानस तक पहूँचायेंगे
विजय पताका फहरायेंगे, स्वाभिमान का युग लायेंगे,
खेलों की दुनिया में होगा
खेलों की दुनिया में होगा, प्रथम हमारा खेल ।। 1।।
खेल खिलाड़ी खेल (2)
उछलें , कूदें जल में तैरें ,बाधाओं के पथ पर दौड़ें ,
योग, कबड्डी, खो-खो खेलें, वनजों को ताकत से तौले ,
धनुष बाण से फिर साधेंगे
धनुष बाण से फिर साधेंगे, एकलव्य का मेल ।। 2।।
खेल खिलाड़ी खेल (2)
शक्त भुजा हो, सशक्त कंधे आँधी में भी अविरल गति हो,
रग रग में हो प्यार देश का, खुली निगाहें अविचल गति हो,
तन में बल हो, मन निर्मल हो……..
तन में बल हो, मन निर्मल हो, ज्यों बाती में तेल ।। 3।।
खेल खिलाड़ी खेल (2)
हार हुई तो मत घबराना, विजय मिली तो मत इतराना,
वृत्ति खिलाड़ी भूल न जाना, आज रूके तो कल बढ़ जाना
विजय पराजय जो भी आये
विजय पराजय जो भी आये, निर्भय होके खेल ।। 4।।
खेल खिलाड़ी खेल (2)
खेलों में अद्भुत है क्षमता बढती है आपस में ममता
अटूट साहस धीरज समता, संस्कारों से रूप निखरता
इन्हीं गुणों से जीन सखेंगे,
इन्हीं गुणों से जीन सखेंगे, जीवन भर के खेल ।। 5।।
खेल खिलाड़ी खेल (2)