जाग उठा वनवासी अब तो, जाग उठा वनवासी

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जाग उठा वनवासी अब तो जाग उठा वनवासी ।। धृ.।।

सूर्योदय हो जनजागृति का
प्रकाश फैला स्वाभिमान का
दूर निशा का अंधकार हो…. (2)
जागे भारतवासी …………..।। 1।।
अब तो, जाग उठा वनवासी

विकास का आधार धर्म है|
जोड सके वह सूत्र धर्म है
आज संगठन मंत्र धर्म है (2)
कहते है अविनाशी ।। 2।।
अब तो, जाग उठा वनवासी

विधर्मी बैठा जाल बिछा,
भोलेपन का लाभ उठाए
सजग रहे गिरी-वन के बंधु (2)
कहते अपने साथी ……….।। 3।।
अब तो, जाग उठा वनवासी

प्रकृति पूजा नस-नस में है
निराकार ईश्वर जग में है
हिंदू हैं हम कहते जायें (2)
गर्व करें वनवासी ….. || 4 ||
अब तो, जाग उठा वनवासी

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