नगर ग्राम वन के हृदयों में अपनेपन का भावजागरण

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नगर ग्राम वन के हृदयों में
अपनेपन का भावजागरण ॥ धृ॥

एक हमारा धर्म सनातन
एक संस्कृति उच्च धरोहर
एक रहे स्वर एक रहे सुर
समरसता का भावजागरण
अपनेपन का भावजागरण ॥१॥

वनवासी बन्धु का जीवन
सुख – सुविधा के अभाव में है
अपना मन संकल्प करे तब
बन्धुप्रेम का भावजागरण
अपनेपन का भावजागरण ॥ २॥

शिक्षा दीपक के प्रकाश में
सबका जीवन तेजोमय हो
संस्कारों की एक किरण से
हृदयों में हो भावजागरण
अपनेपन का भावजागरण ॥ ३॥

अतीत का आदर्श सामने
दीन भावना दूर करें हम
उठकर चलने का साहस हो
स्वाभिमान का भावजागरण
अपनेपन का भावजागरण ॥ ४॥

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