अब जागो……जागो रे जागो वनवासी
अब जागो……जागो रे जागो वनवासी अब जागो…..जागो भारतवासी ।। धृ.।। सरल सहज अपना जीवन है, निर्मल जल सम अपना मन […]
अब जागो……जागो रे जागो वनवासी अब जागो…..जागो भारतवासी ।। धृ.।। सरल सहज अपना जीवन है, निर्मल जल सम अपना मन […]
जन जन जिनकी पूजा करते वन अंचल के देव हमारे श्रद्धा मेरी दैवत सारे, श्रद्धा मेरी दैवत सारे ।।धृ.।। वृक्ष
चरैवेति चरैवेति यहि तो मंत्र है अपना नहीं रूकना, नहीं थकना, सतत चलना सतत चलना यही तो मंत्र है अपना
दूर दूर गाँवों में जाएं वनबन्धु को मिलने स्वस्थ निरामय जीवन सबका भाव रहा है मन में ।। धृ.।। घर
जाग उठा वनवासी अब तो जाग उठा वनवासी ।। धृ.।। सूर्योदय हो जनजागृति का प्रकाश फैला स्वाभिमान का दूर निशा
वनवासी का संगठन कर ध्येयमार्ग पर चलते भरतभूमी के साधक है हम कार्य साधना करते हम सब शक्ति अर्चना करते
वैभवशाली भारत के हम स्वप्न देखती महिलाएँ वन अँचल के घर-घर पहुँचे, अनथक चलती महिलाएँ ।। धृ.।। शक्तिस्वरूपा, स्नेहसुधा तु,
धरती माता कितनी अच्छी सबका जीवन सुखमय करती धरती माँ की पूजा करते धान से अपना घर भर देती (2)
आनंद भरे सबके जीवन में, जीवन के दिन चार सभी नृत्य करें सभी गीत कहें, एक सूर एक ताल ।।
खेल खिलाड़ी खेल (2) हँसकर मिलकर, डटकर, बढ़कर ……..खेल खिलाड़ी खेल………।। धृ.।। खेल स्वदेशी अपनाएँगे जनमानस तक पहूँचायेंगे विजय पताका